इंगलैंड के अंतर्राष्ट्रीय
बहुभाषीय संगोष्ठी में
अंगिका भाषा
अंगिका भाषा साहित्य
के क्षेत्र में एक नया
इतिहास रचा गया है. इंगलैंड
के
दूसरे सबसे बङे शहर
बरमिंघम में 27 से 29 अगस्त
तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय
बहुभाषीय संगोष्ठी,
IMS-2005, में अंगिका
के साहित्यकार श्री कुंदन
अमिताभ
द्वारा अंगिका
भाषा में आलेख और कवितायें
पढीं गईं. किसी विदेशी
भूमि पर
आयोजित किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर
के कार्यक्रम में अंगिका
भाषा की रचनायें पढी
जाने का यह पहला
मौका था. श्री अमिताभ को संगोष्ठी
में अंगिका
एवं अंग्रेजी
में अपनी रचनायें
पढ़ने के लिये विशेष रूप
से आमंत्रित किया गया
था. उनकी
इस ऐतिहासिक
भागीदारी से बिहार एवं अंग
की संस्कृति तथा अंगिका
भाषा
को अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर एक नई पहचान हासिल
हुई है.
बिड़ला इंस्टीच्यूट
ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग
की डिग्री हासिल करने
वाले
हिन्दी, अंग्रेजी
एवं अंगिका के लेखक श्री
कुंदन अमिताभ पिछले चौबीस
बर्षों से
अंगिका-साहित्य
सृजन में लगे हैं और फिलहाल
मुम्बई के एक कंसल्टिंग
कम्पनी में सीनीयर
रेजीडेंट इंजीनियर के
पद पर कार्यरत हैं. श्री
अमिताभ
गुगल सर्च-इंजन
के
हिन्दी, अंग्रेजी एवं
अंगिका भाषाओं के वालंटियर
अनुवादक
के साथ-साथ माइक्रोसॉफ्ट
कारपोरेशन के भारतीय
भाषा सेल के फोरम-मेम्बर
भी हैं. श्री अमिताभ
के
सक्रिय सहयोग से जहाँ
अंगिका भाषा में गुगल-अंगिका
जैसा सर्च-इंजन
तैयार हो सका है वहीं अंगिका
भाषा एवं अंग-संस्कृति
को
समर्पित अंगिका.कॉम
वेब-पोर्टल भी पिछले दो
बर्षों से अस्तित्व मे
है.
छठे विश्व हिन्दी
सम्मेलन के आयोजकों में
से एक बरमिंघम स्थित
‘गीतांजली मल्टिलिंगुअल लिटरेरी
सर्किल ’ द्वारा आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय
बहुभाषीय संगोष्ठी
में
‘ग्लोबल इंटीग्रेशन
ऑफ इंडियन्स’ तथा ‘नेशनल
इंटीग्रेशन ऑफ
इंडियन्स’ जैसे विषयों पर विभिन्न
भारतीय भाषाओं के
विद्वानों द्वारा
अपने-अपने आलेख पढे गये. अंगिका के श्री
कुंदन अमिताभ
के अलावे भारत
से इस कार्यक्रम में भाग
लेने
वाले अन्य विद्वानों
में
प्रमुख थे- काश्मीरी
के श्री ओंकार एन. कौल, तमिल
के
श्री अशोक वेंकटरमन,
तेलगु के श्री
जे. बापू रेड्डी, पंजाबी
और हिन्दी के श्री महीप सिंह,
मराठी और
हिन्दी के श्री
केशव प्रथमवीर, हिन्दी
के श्री विजय कुमार मल्होत्रा
और
श्री दिविक रमेश,
अंग्रेजी के श्री इंद्रनाथ
चौधरी, श्री संजीव जोशी,
श्री बी.के.बाजपेयी
और श्रीमती शोभा
बाजपेयी, उर्दू के श्री
जावेद अरसी, बंगला के श्री शैवाल
मित्रा
और श्रीमती जलज
चौधरी, गुजराती के श्री
जगदीश दवे, सिंधी के श्री
मोतीलाल
जोतवानी और संस्कृत
के श्री एच.वी.एस.शास्त्री.
जबकि अन्य देशों से हिस्सा
लेने वाले भारतीय
विद्वानों में प्रमुख
थे- इटली के श्री श्याम मनोहर
पांडेय
एवं नार्वे के
श्री सुरेश चन्द्र शुक्ल.
इसके अलावे इंगलैंड के कई
विद्वानों ने भी
इसमें हिस्सा
लिया.
इस अवसर पर बहुभाषीय
कवि सम्मेलनों के आयोजन
भी हुये.जिनमें अंगिका
के श्री कुंदन
अमिताभ के अलावे भाग लेने
वाले अन्य कवियों में
प्रमुख थे-
हिन्दी के श्री
सोम ठाकुर, श्री उदय प्रताप
सिंह, श्रीमती सरिता शर्मा,
श्री केशव
प्रथमवीर, श्री
सुरेश चन्द्र शुक्ल, श्री
दिविक रमेश, उर्दू के श्री
जावेद अरसी, तेलगु
के श्री जे. बापू
रेड्डी, अंग्रेजी की श्रीमती
शोभा बाजपेयी एवं सिंधी के श्री
मोतीलाल जोतवानी.
इस कवि सम्मेलन का संचालन
श्रीमती सरिता शर्मा
ने किया. जबकि एक
अन्य बहुभाषीय कवि सम्मेलन,
जिसमें इंगलैंड के
भारतीय कवियों
द्वारा कवितायें पढ़ीं
गईं, का संचालन लंदन से
प्रकाशित त्रैमासिक-
पुरवाई के संपादक
श्री तेजेन्द्र शर्मा
ने किया. इसमें भाग लेने
वाले
कवियों में
प्रमुख थे- हिन्दी
कीं श्रीमती दिव्या माथुर,
श्रीमती उषा वर्मा, श्रीमती
उषा राजे
सक्सेना एवं हिन्दी
के ही श्री तेजेन्द्र
शर्मा एवं श्री अजय त्रिपाठी,
उर्दू के श्री
आर.के.महान और श्री
प्राण शर्मा, पंजाबी के
श्री
तेजा सिंह तेजा और श्री
अवतार सिंह अर्पण,
अंग्रेजी के श्री सुरजीत
धामी,
श्री गुरप्रीत भाटीया,
तेलगु
की श्रीमती अरविंदा
राव, तेलगु के ही श्री एम.रामकृष्णा,
बंगाली के श्री अमित
विश्वास एवं
श्री बिमल पाल, और गुजराती
के श्री पी.अमीन और श्री
जगदीश दवे.
सामारोह में कई
बहुभाषीय सांस्कृतिक
कार्यक्रम के आयोजन भी
हुये जिनमें
इंगलैंड स्थित
भारतीय कलाकारों द्वारा
अदभुत एवं मनमोहक नृत्य
प्रस्तुत किये
गये. इनमें भाग
लेने वालों में प्रमुख
थे- आकाश ओदेदरा, प्रिया
कैट्री, मीना कुमारी,
अनुराधा शर्मा,
पुमुनदीप संधु, बालप्रीत
ढिल्लन, श्रनदीप उप्पल,
निकिता बंसल,
मृदुला, रमेश पटेल,
कोन्सटनटीन पवलीडिस,
रोलीन रचीले, माया दीपक,
पेटे
टाउनसेन्ड, हिरेन
चाटे, दीपक पंचाल, कृष्णा
जोशी, कृष्णा बुधु, अर्चिता
कुमार, शामला
और अनिको नैगी.
सर्वप्रथम सामारोह
का उदघाटन ब्रिटेन में
भारत के उच्चायुक्त श्री
कमलेश शर्मा
ने दीप प्रज्वलित
कर किया. जबकि सामारोह
समापन पर धन्यवाद ज्ञापन
‘गीतांजली मल्टिलिंगुअल लिटरेरी
सर्किल ’ के संस्थापक और इस पूरे
आयोजन के सूत्रधार
श्री कृष्ण कुमार ने किया.
सामारोह को संबोधित करने
वाले अन्य महत्वपूर्ण
विद्वानों में शामिल
थे- श्री महेन्द्र वर्मा,
श्रीमती चित्रा
कुमार, श्री एन.पी.शर्मा,
श्री राकेश बी. दूबे, श्री
एस.एन.बसु, श्रीमती चंचल
जैन,
श्रीमती वन्दना
मुकेश शर्मा, श्री प्रफुल्ल
अमीन एवं श्री रॉव मैरीस.
भाषाओं और साहित्य
के माध्यम से वैश्विक
स्तर पर भारतीय राष्ट्रीय
एकता के सूत्र
को मजबूती प्रदान करने
की दिशा में आयोजित यह
त्रिदिवसीय
संगोष्ठी अंततः
एक अनोखा और विलक्षण उपक्रम
साबित हुआ. जिसमें उच्च
स्तरीय संवाद
के पश्चात कुल सोलह महत्वपूर्ण
प्रस्ताव भी पारित किये
गये,
जिनमें प्रमुख
हैं :
1. भीरतीयता
को बढ़ावा देना हर भारतीयों
का प्रमुख ध्येय होना
चाहिये.
2. सभी भारतीय
भाषाओं को सम्मानीय स्तर
तक पहुँचाने के लिये भारत
सरकार उचित संसाधन
व सुविधा उपलब्ध
कराये.
3. भारतीय
भाषाओं के मध्य अनुवाद
एवं अन्य साधन के जरिये
साहित्यिक
आदान-प्रदान
को बढ़ावा दिया जाय.
4. भारत
को शनैः-शनैः अंग्रेजी
से दूर हटकर भारतीय भाषाओं
के करीब
जाना चाहिये
एवं भारतीय भाषाओं में ही सभी काम होने चाहियें.
5. व्यवस्थित
व वैज्ञानिक विधि से सभी
भारतीयों को देश की मिश्रित
संस्कृति
में एकता के पहचान के कारक
के रूप में हिन्दी का उपयोग
करना चाहिये.
6. भारतीय
भाषाओं में य़ूनिकोड एवं
अन्य जरूरी उपकरण के उपयोग
को बढ़ावा
देकर इन्हें कम्पयूटर
एवं सूचना क्रांति के
इस दौर में विश्व
की उन्नत
तकनीक से लैस भाषाओं के
समकक्ष रखने के लिये भारत
सरकार को
उचित संसाधन उपलब्ध कराने
चाहियें.
7. भारतीय
भाषाओं के बीच समन्वय
स्थापित करने के लिये
भारत
सरकार को
तुरंत ही “भारतीय भाषाओं के राष्ट्रीय
आयोग” का गठन
करना चाहिये.
8. “विश्व हिन्दी सामारोह” की तरह भारत
सरकार को “बहुभाषीय
विश्व सामारोह” भी आयोजित
करवाने चाहियें.